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Tuesday 19 December 2017

On-vice president of India

आज हम सामान्य ज्ञान खंड से एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय को कवर करेंगे जो है- भारत के उपराष्ट्रपति के बारे में सभी महत्वपूर्ण बिंदु । ये बिंदु एसएससी की तरह आपकी आगामी परीक्षाओं, जैसे रेलवे आदि के लिए उपयोगी होंगे। अगर यह आपको पसंद हो, तो यह हमें बताएं।
भारतीय संविधान में भारत के उप राष्ट्रपति
भारत के उप-राष्ट्रपति (आर्टिकल्स 63-73)
भारतीय संविधान के भाग पांच में पहला अध्याय (कार्यकारी) भारत के उप-राष्ट्रपति के कार्यालय के बारे में चर्चा करता है। भारत के उप-राष्ट्रपति का ऑफिस देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है।
अनुच्छेद 63: भारत के उप-राष्ट्रपति
  • भारत में एक उप-राष्ट्रपति होंगे।
अनुच्छेद 64: उपराष्ट्रपति का पद राज्य सभा के पदेन सभापति के रूप में है।
  • उपराष्ट्रपति का पद राज्य सभा के पदेन परिषद के अध्यक्ष सभापति के रूप में है और वह कोई अन्य लाभ का पद धारण नहीं करेगा:
  • दिया गया है कि उस दौरान जब उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है या अनुच्छेद 65 के तहत राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन करने के दौरान, वह राज्य सभा के सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन नहीं करेगा और राज्यों की परिषद के अध्यक्ष के तौर पर कोई वेतन या भत्ता अनुच्छेद 97 के तहत लेने का हकदार नहीं होगा।
अनुच्छेद 65
  • उप-राष्ट्रपति को कार्यालय में आकस्मिक रिक्तियों के दौरान अपने कार्यों का निर्वहन, या राष्ट्रपति की अनुपस्थिति के दौरान राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना होगा।
अनुच्छेद 66: उप-राष्ट्रपति का चुनाव
  • उपराष्ट्रपति का चुनाव एक चुनावी कॉलेज के सदस्यों द्वारा किया जायेगा जिसमे संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा मिलकर चुना जायेगा। हालांकि, यह चुनाव राष्ट्रपति के उस चुनाव से अलग है क्योंकि राज्य विधानसभाओं का इसमें कोई हिस्सा नहीं है। कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र तभी होगा जब वह—
भारत का नागरिक है,
  • पैंतीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका है, और
  • राज्य सभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए अर्हित है।
  • कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी के नियंत्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र नहीं होगा।
  • स्पष्टीकरण- इस अनुच्छेद के प्रयोजनों के लिए, कोई व्यक्ति केवल इस कारण कोई लाभ का पद धारण करने वाला नहीं समझा जाएगा कि वह संघ का राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल है अथवा संघ का या किसी राज्य का मंत्री है।
अनुच्छेद 67: उपराष्ट्रपति की पदावधि
उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा:
परंतु--
  1. उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षरित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा;
  2. उपराष्ट्रपति, राज्य सभा के ऐसे संकल्प द्वारा अपने पद से हटाया जा सकेगा जिसे राज्य सभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत ने पारित किया है और जिससे लोकसभा सहमत है; किंतु इस खंड के प्रयोजन के लिए कोई संकल्प तब तक प्रस्तावित नहीं किया जाएगा जब तक कि उस संकल्प को प्रस्तावित करने के आशय की कम से कम चौदह दिन की सूचना न दे दी गई हो;
  3. उपराष्ट्रपति, अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी, तब तक पद धारण करता रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है।
अनुच्छेद 68:
  • उपराष्ट्रपति के पद में रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन करने का समय और आकस्मिक रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति की पदावधि (1) उपराष्ट्रपति की पदावधि की समाप्ति से हुई रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, पदावधि की समाप्ति से पहले ही पूर्ण कर लिया जाएगा।
(2) उपराष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से हुई उसके पद में रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, रिक्ति होने के पश्चात्‌ यथाशीघ्र किया जाएगा और रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति, अनुच्छेद 67 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, अपने पद ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की पूरी अवधि तक पद धारण करने का हकदार होगा।
अनुच्छेद 69: उपराष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान-
प्रत्येक उपराष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति अथवा उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष निम्नलिखित प्ररूप में शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा, अर्थात्‌: --
ईश्वर की शपथ लेता हूँ
''मैं, अमुक ---------------------------------कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा करता हूँ, श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा तथा जिस पद को मैं ग्रहण करने वाला हूँ उसके कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक निर्वहन करूँगा।''
अनुच्छेद 70:
  • अन्य आकस्मिकताओं में राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन--संसद, ऐसी किसी आकस्मिकता में जो इस अध्याय में उपबंधित नहीं है, राष्ट्रपति के कृत्यों के निर्वहन के लिए ऐसा उपबंध कर सकेगी जो वह ठीक समझे।
अनुच्छेद 71:
  • राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित या संसक्त विषय—
(1) राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से उत्पन्न या संसक्त सभी शंकाओं और विवादों की जांच और विनिश्चय उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाएगा और उसका विनिश्चय अंतिम होगा।
(2) यदि उच्चतम न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति के राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचन को शून्य घोषित कर दिया जाता है तो उसके द्वारा, यथास्थिति, राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के पद की शक्तियों के प्रयोग और कर्तव्यों के पालन में उच्चतम न्यायालय के विनिश्चय की तारीख को या उससे पहले किए गए कार्य उस घोषणा के कारण अधिमान्य नहीं होंगे।
(3) इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित या संसक्त किसी विषय का विनियमन संसद विधि द्वारा कर सकेगी।
(4) राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के रूप में किसी व्यक्ति के निर्वाचन को उसे निर्वाचित करने वाले निर्वाचकगण के सदस्यों में किसी भी कारण से विद्यमान किसी रिक्ति के आधार पर प्रश्नगत नहीं किया जाएगा।

भारत के उप-राष्ट्रपतियों की सूची (कार्यकाल के साथ)  

Name of Vice PresidentOffice Period
Sarvepalli Radhakrishnan1952-1962
Zakir Husain1962-1967
Varahagiri Venkata Giri1967-1969
Gopal Swarup Pathak1969-1974
Basappa Danappa Jatti1974-1979
Mohammad Hidayatullah1979-1984
Ramaswamy Venkataraman1984-1987
Shankar Dayal Sharma1987-1992
Kocheril Raman Narayanan1992-1997
Krishan Kant1997-2002
Bhairon Singh Shekhawat2002-2007
Mohammad Hamid Ansari2007-2017
Muppavarapu Venkaiah Naidu2017- till date

SSC CHSL Previous Year Papers - Practice 

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